देश के एयरपोर्ट्स पर 2–6 दिसंबर 2025 के दौरान अत्यंत खराब स्थिति पैदा हुई। अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के सामने भारत की छवि खराब हो रही है। घरेलू यात्री 12 घंटे से अधिक समय से एयरपोर्ट पर परेशान खड़े हैं। सरकार असहाय बनकर देखती रह गई है।
इंडिगो ने अपनी सभी उड़ानें रद्द कर दीं, जिससे हालात और बिगड़ गए। हजारों यात्री प्रभावित हुए हैं, जो लंबे विलंब और बढ़ते सफर खर्च से चिंतित हैं।
5 दिसंबर 2025 को इंडिगो एयरलाइंस ने भारी अव्यवस्था के लिए माफी मांगने का दिखावा किया!
400 से अधिक विमानों के बेड़े के साथ रोज़ाना 2,300 उड़ानें संचालित करने वाली इंडिगो आखिर क्यों ऐसी स्थिति का सामना कर रही है?
DGCA — Directorate General of Civil Aviation के नए नियमों के कारण पायलटों को सप्ताह में 12 घंटे का अतिरिक्त आराम मिला, जिससे अचानक पायलटों की कमी हो गई और 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इंडिगो चाहती है कि DGCA अपने नए नियम वापस ले!
इंडिगो के पास 200 नए पायलटों को नियुक्त करने के लिए 18 महीने का समय था, लेकिन उसने कुछ नहीं किया।
एयर इंडिया के पास प्रति विमान 19 पायलट हैं, जबकि इंडिगो के पास प्रति विमान सिर्फ 13 पायलट हैं। इंडिगो कम पायलटों के सहारे काम चलाना चाहती है। इंडिगो ने DGCA को ब्लैकमेल करते हुए अपनी मोलभाव करने की मोनोपोली शक्ति का इस्तेमाल किया और उड़ानें रद्द करके संकट खड़ा किया, क्योंकि वह DGCA के नए नियम मानने को तैयार नहीं थी। DGCA ब्लैकमेल का शिकार होकर अपने नियम 5 दिसंबर 2025 को वापस लेने पर मजबूर हो गया!
92% एयर ट्रैफिक इंडिगो और एयर इंडिया के पास है, जिसमें से 64% अकेले इंडिगो के पास है। मोनोपोली का स्वभाव ही अपने हितों की रक्षा करना है — जनता के हित की उन्हें कोई चिंता नहीं।
देश में अब केवल अडाणी–अंबानी जैसी बड़ी मोनोपोली बन चुकी है, और आने वाले समय में इंडिगो की तरह ये भी सरकार को झुकाने लगेंगी! हमारे पास आहें भरने के अलावा कोई उपाय नहीं बचा है।
– रमेश सवानी
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